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WTC 2025 फाइनल में DRS विवाद: क्रिकेट में तकनीक और फैसलों पर उठा सवाल

वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप 2025 फाइनल में टेम्बा बावुमा


क्रिकेट आज के दौर में सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि करोड़ों दिलों की धड़कन है। दुनिया के अलग-अलग कोनों में क्रिकेट प्रेमियों की नजरें हमेशा अपने पसंदीदा खिलाड़ियों और रोमांचक मुकाबलों पर टिकी रहती हैं। ऐसे में जब कोई बड़ा टूर्नामेंट होता है, तो उसकी हर घटना सुर्खियों में आ जाती है। हाल ही में वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) 2025 का फाइनल इसी तरह चर्चा में आ गया।

इस मुकाबले में क्रिकेट के मैदान पर सिर्फ खिलाड़ियों के प्रदर्शन ने ही रोमांच नहीं बढ़ाया, बल्कि Decision Review System (DRS) को लेकर हुए विवाद ने भी खूब सुर्खियां बटोरीं। इस आर्टिकल में हम जानेंगे इस विवाद की पूरी कहानी, DRS का इतिहास, इसकी तकनीकी बारीकियां, क्रिकेट में इसका असर और भविष्य में इसके सुधार की संभावनाएं।


वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) क्या है?

वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप (WTC) आईसीसी द्वारा शुरू किया गया एक टूर्नामेंट है, जिसका मकसद टेस्ट क्रिकेट को एक नई पहचान और लोकप्रियता देना है। पहली बार यह टूर्नामेंट 2019-2021 के बीच खेला गया था, जिसका फाइनल मुकाबला भारत और न्यूजीलैंड के बीच हुआ था। इसके बाद WTC 2023-25 का दूसरा संस्करण हुआ, जिसका फाइनल साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच खेला गया।

टेस्ट क्रिकेट की लोकप्रियता टी20 और वनडे के मुकाबले धीरे-धीरे कम हो रही थी। ऐसे में WTC ने इस फॉर्मेट को दोबारा जीवंत किया।


WTC 2025 फाइनल: मुकाबले की झलक

WTC 2025 का फाइनल मुकाबला लॉर्ड्स क्रिकेट ग्राउंड, लंदन में खेला गया। साउथ अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया के बीच यह मैच बेहद रोमांचक रहा। पहले दिन से ही दोनों टीमों ने शानदार खेल दिखाया।

ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए मजबूत स्कोर खड़ा किया, लेकिन साउथ अफ्रीका के गेंदबाजों ने वापसी कर मैच को रोचक बना दिया। दूसरी पारी में जब साउथ अफ्रीका बैटिंग कर रही थी, तभी मुकाबले में सबसे बड़ा विवाद सामने आया।


DRS विवाद: बावुमा का मामला

मैच के दूसरे दिन साउथ अफ्रीका के कप्तान टेम्बा बावुमा बल्लेबाजी कर रहे थे। ऑस्ट्रेलिया के गेंदबाज की गेंद पर अंपायर ने उन्हें आउट करार दिया। बावुमा ने तुरंत DRS लेने का फैसला किया।

UltraEdge तकनीक से पता चला कि गेंद ने बल्ले को छू लिया था। अंपायर ने अपना फैसला बदल दिया। इस पर ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों और फैंस ने नाराजगी जताई। सोशल मीडिया पर लोग DRS की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने लगे।

कई दिग्गज क्रिकेटरों ने भी कहा कि तकनीक में गड़बड़ियां होती हैं और इस पर पूरी तरह निर्भर नहीं किया जा सकता। वहीं कुछ विशेषज्ञों ने DRS को खेल का अहम हिस्सा बताते हुए इसका बचाव भी किया।


DRS (Decision Review System) क्या है?

Decision Review System यानी DRS एक तकनीक आधारित सिस्टम है, जिसकी मदद से अंपायर के फैसलों की समीक्षा की जाती है। इसमें कई तकनीकी टूल्स होते हैं:

  • UltraEdge: बल्ले और गेंद के संपर्क को रिकॉर्ड करता है।

  • Ball Tracking: गेंद की दिशा और स्टंप से टकराने की संभावना दिखाता है।

  • Hawk-Eye: गेंद की मूवमेंट को ट्रैक करता है।

DRS का मकसद खेल में फैसलों को निष्पक्ष और सटीक बनाना है।


क्रिकेट में DRS की शुरुआत

DRS की शुरुआत 2008 में हुई थी। पहली बार इसका इस्तेमाल भारत और श्रीलंका के बीच टेस्ट मैच में हुआ। इसके बाद धीरे-धीरे इसे सभी फॉर्मेट में शामिल किया गया।

शुरुआत में कई क्रिकेट बोर्ड इस तकनीक के खिलाफ थे। लेकिन समय के साथ इसकी उपयोगिता बढ़ी और अब ये खेल का अहम हिस्सा बन चुका है।


DRS से जुड़े विवाद

DRS के आने के बाद कई बार ऐसे मौके आए हैं, जब इस तकनीक पर सवाल खड़े हुए। कभी UltraEdge ने सही से आवाज नहीं पकड़ी, तो कभी Ball Tracking ने अलग दिशा दिखाई।

WTC 2025 का विवाद भी इसी तरह की घटनाओं की एक कड़ी है। बावुमा के मामले में कई लोग मानते हैं कि UltraEdge ने जो स्पाइक दिखाया, वह स्पष्ट नहीं था। लेकिन तकनीक के फैसले को स्वीकार करना ही पड़ा।


क्या DRS पर भरोसा किया जा सकता है?

तकनीक कभी भी सौ फीसदी सही नहीं हो सकती। क्रिकेट में DRS ने फैसलों को बेहतर बनाया है, लेकिन फिर भी इसमें मानवीय और तकनीकी त्रुटियां संभव हैं।

कई पूर्व क्रिकेटर मानते हैं कि DRS खेल में मदद करता है, लेकिन अंतिम फैसला मैदान पर मौजूद अंपायर का ही होना चाहिए।


WTC 2025 के इस विवाद का असर

इस विवाद ने WTC 2025 फाइनल की चर्चाओं को और तेज कर दिया। लोग मैच के रोमांच से ज्यादा DRS विवाद की बातें कर रहे थे।

आईसीसी ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया है और कहा है कि भविष्य में DRS सिस्टम को और बेहतर किया जाएगा।


क्रिकेट में तकनीक का भविष्य

जैसे-जैसे तकनीक आगे बढ़ रही है, क्रिकेट में भी इसका दखल बढ़ रहा है। आने वाले समय में DRS और भी सटीक और तेज़ होगा।

AI बेस्ड सिस्टम, बेहतर UltraEdge और हाइपर-एक्युरेसी वाली Ball Tracking तकनीकें आने वाली हैं। इससे खेल में फैसले और अधिक पारदर्शी हो सकेंगे।


निष्कर्ष

WTC 2025 का DRS विवाद एक बार फिर साबित करता है कि क्रिकेट में तकनीक और मानवीय फैसले हमेशा एक साथ चलते रहेंगे। तकनीक खेल को बेहतर बनाने के लिए है, लेकिन इसकी सीमाएं भी हैं।

क्रिकेट प्रेमियों को चाहिए कि वे खेल की खूबसूरती का आनंद लें और तकनीकी खामियों को खेल भावना से स्वीकार करें।

आने वाले समय में क्रिकेट और तकनीक का यह रिश्ता और भी मजबूत होगा।

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