TNPL 2025 में रविचंद्रन अश्विन का अंपायर से विवाद: क्रिकेट में अंपायरिंग की गुणवत्ता पर सवाल
क्रिकेट को हमेशा से जेंटलमैन गेम कहा जाता है। मगर जब मैदान पर भावनाएं उफान पर होती हैं, तो बड़े-बड़े खिलाड़ी भी खुद पर काबू नहीं रख पाते। कुछ ऐसा ही नज़ारा हाल ही में तमिलनाडु प्रीमियर लीग (TNPL) 2025 के एक मैच में देखने को मिला।
भारत के अनुभवी क्रिकेटर रविचंद्रन अश्विन का एक LBW फैसले पर अंपायर से बहस करना चर्चा में आ गया। इस घटना ने सिर्फ मैच ही नहीं, बल्कि क्रिकेट में अंपायरिंग की गुणवत्ता और फैसलों की निष्पक्षता को लेकर एक नई बहस छेड़ दी। इस आर्टिकल में हम इस विवाद की पूरी जानकारी, क्रिकेट में अंपायरिंग का इतिहास, विवादों की भूमिका, और भविष्य में सुधार की जरूरत पर बात करेंगे।
तमिलनाडु प्रीमियर लीग (TNPL) क्या है?
TNPL दक्षिण भारत का एक लोकप्रिय क्रिकेट टूर्नामेंट है, जिसे तमिलनाडु क्रिकेट एसोसिएशन द्वारा आयोजित किया जाता है। इस टूर्नामेंट का उद्देश्य स्थानीय प्रतिभाओं को प्लेटफॉर्म देना है, ताकि वे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकें।
हर साल इस टूर्नामेंट में तमिलनाडु के अलग-अलग शहरों की फ्रेंचाइज़ी टीमें हिस्सा लेती हैं। T20 फॉर्मेट में खेले जाने वाले इस टूर्नामेंट की लोकप्रियता आईपीएल की तर्ज पर ही तेजी से बढ़ रही है।
TNPL 2025 का वो मुकाबला
TNPL 2025 का एक अहम मुकाबला डिंडीगुल ड्रेगन्स और चेन्नई चैलेंजर्स के बीच खेला जा रहा था। इस मैच में डिंडीगुल ड्रेगन्स की ओर से कप्तानी कर रहे रविचंद्रन अश्विन बैटिंग कर रहे थे। टीम को जीत के लिए आखिरी ओवरों में रन चाहिए थे।
इसी दौरान एक गेंद पर अंपायर ने अश्विन को LBW आउट करार दे दिया। अश्विन ने तुरंत नाराज़गी जताई और अंपायर से बहस शुरू कर दी। उनका कहना था कि गेंद लेग स्टंप के बाहर पिच हुई थी और इस पर आउट दिया जाना गलत था।
मैदान पर गुस्सा और बहस
अश्विन ने अंपायर के फैसले का कड़ा विरोध किया। उन्होंने मैदान पर ही हाथ उठाकर अपनी नाराज़गी जाहिर की और अंपायर से फैसले पर सफाई मांगी।
हालांकि TNPL में DRS सिस्टम नहीं होने की वजह से फैसले को बदला नहीं जा सका। मगर इस घटना का वीडियो कुछ ही मिनटों में सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
लोगों ने इसे खेल भावना के खिलाफ भी बताया, वहीं कुछ ने अश्विन का समर्थन करते हुए कहा कि अंपायरिंग स्तर वाकई सुधार की ज़रूरत में है।
अंपायरिंग विवाद: कोई नई बात नहीं
क्रिकेट में अंपायरिंग विवाद कोई नई बात नहीं है। इससे पहले भी कई बड़े-बड़े मैचों में विवाद हुए हैं।
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2008 का सिडनी टेस्ट: भारत-ऑस्ट्रेलिया मुकाबले में अंपायरिंग की जमकर आलोचना हुई थी।
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2019 वर्ल्ड कप फाइनल: ओवरथ्रो पर मिले अतिरिक्त 4 रन का मामला भी काफी विवादित रहा।
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आईपीएल 2023: नो बॉल विवाद में कप्तानों और अंपायर के बीच बहस हो चुकी है।
हर बार अंपायरिंग विवाद से खेल की छवि को नुकसान होता है।
क्रिकेट में अंपायरिंग की चुनौतियां
क्रिकेट में अंपायरिंग आसान काम नहीं है। मैदान पर तेज़ रफ्तार गेंद, खिलाड़ियों का दबाव और हजारों दर्शकों की निगाहों के बीच फैसले लेना कठिन होता है।
कई बार DRS और UltraEdge जैसी तकनीकें मदद करती हैं, लेकिन घरेलू टूर्नामेंट्स में इनका अभाव रहता है। TNPL जैसा टूर्नामेंट भी इसी समस्या से जूझ रहा है।
अश्विन का गुस्सा जायज या गलत?
अश्विन जैसे अनुभवी खिलाड़ी का इस तरह मैदान पर नाराज़ होना कई सवाल खड़े करता है।
कुछ क्रिकेट एक्सपर्ट्स का मानना है कि अश्विन को अंपायर के फैसले का सम्मान करना चाहिए था। वहीँ, कुछ लोग कहते हैं कि जब गलती साफ दिखाई दे, तो खिलाड़ी का विरोध करना जायज है।
क्रिकेट में खेल भावना और नियमों का पालन ज़रूरी है, मगर अंपायरिंग में सुधार की मांग भी उतनी ही जरूरी है।
सोशल मीडिया पर बवाल
अश्विन की इस घटना का वीडियो वायरल होते ही ट्विटर और इंस्टाग्राम पर बवाल मच गया।
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#AshwinVivad ट्रेंड करने लगा।
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कुछ फैंस ने अंपायर को जिम्मेदार बताया।
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कई यूजर्स ने TNPL में DRS लाने की मांग की।
सोशल मीडिया पर खेल की घटनाएं अब मैदान से ज़्यादा चर्चा ऑनलाइन बन गई हैं।
TNPL में DRS क्यों नहीं?
इतना बड़ा विवाद होने के बाद सवाल उठा कि TNPL जैसे टूर्नामेंट में DRS क्यों नहीं है? दरअसल, DRS सिस्टम बहुत महंगा होता है और लोकल टूर्नामेंट्स का बजट सीमित होता है।
मगर जब क्रिकेट की लोकप्रियता और खिलाड़ियों का कद इतना बड़ा हो, तो ऐसे विवाद टालने के लिए तकनीकी व्यवस्था होनी चाहिए।
क्रिकेट में अंपायरिंग सुधार की जरूरत
अब वक्त आ गया है कि भारत समेत दुनियाभर के क्रिकेट बोर्ड घरेलू टूर्नामेंट्स में अंपायरिंग स्तर सुधारें।
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DRS जैसी तकनीक लानी चाहिए।
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अंपायरों की ट्रेनिंग और अपडेटेड नियम सिखाना चाहिए।
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मैदान पर फैसलों को पारदर्शी बनाना चाहिए।
निष्कर्ष
TNPL 2025 में रविचंद्रन अश्विन का अंपायर से विवाद एक बार फिर बताता है कि क्रिकेट में फैसलों की निष्पक्षता कितनी अहम है।
खेल भावना तभी बनी रहेगी, जब अंपायर और खिलाड़ी दोनों अपने कर्तव्य का सम्मान करें। साथ ही, तकनीक का उपयोग भी क्रिकेट के भविष्य को बेहतर बना सकता है।
आने वाले समय में घरेलू क्रिकेट में भी DRS जैसी सुविधा लागू हो, तभी ऐसे विवाद कम होंगे और खेल का स्तर ऊंचा उठेगा।
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