क्रिकेट में कई बार मैदान पर ऐसे फैसले हो जाते हैं जो खिलाड़ी और दर्शकों को विवादास्पद लगते हैं। पहले इन फैसलों को चुनौती देने का कोई तरीका नहीं था। लेकिन टेक्नोलॉजी के आने से अब खिलाड़ियों को एक और मौका मिला है — जिसका नाम है DRS (Decision Review System).
यह तकनीक फील्ड अंपायर के फैसले की दोबारा जांच करने का एक जरिया है।
📌 DRS का फुल फॉर्म
Decision Review System
📌 DRS क्यों जरूरी है?
क्रिकेट में कई बार अंपायर से गलती हो जाती है, खासकर LBW, कैच और रन आउट जैसे करीबी फैसलों में। ऐसे में DRS तकनीक के ज़रिए उस फैसले की वीडियो और तकनीकी तरीकों से दोबारा जांच होती है।
DRS से फायदा:
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गलत फैसले सुधर जाते हैं
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मैच का निष्पक्ष परिणाम
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खिलाड़ियों को न्याय मिलता है
📌 DRS में कौन-कौन सी तकनीक शामिल होती है?
1️⃣ Ball Tracking (Hawk-Eye)
2️⃣ Ultra Edge / Snickometer
3️⃣ Hot Spot
4️⃣ Slow Motion Replays
📌 1️⃣ Ball Tracking (Hawk-Eye)
ये तकनीक गेंद के पिच होने से लेकर विकेट तक के रास्ते को ट्रैक करती है। खासकर LBW फैसलों में ये सबसे ज्यादा काम आती है।
कैसे देखती है:
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गेंद कहां पड़ी
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बैट्समैन के पैड पर कहां लगी
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विकेट की तरफ जा रही है या नहीं
📌 2️⃣ Ultra Edge / Snickometer
कैच के फैसले में Ultra Edge माइक के ज़रिए बैट और गेंद के संपर्क की आवाज़ रिकॉर्ड करता है।
अगर Ultra Edge की लाइन ऊपर जाती है तो बैट और बॉल का संपर्क माना जाता है।
📌 3️⃣ Hot Spot
इन्फ्रारेड कैमरा की मदद से पता चलता है कि बॉल बैट या पैड को कहां लगी।
सफेद धब्बा आना मतलब संपर्क हुआ।
📌 4️⃣ Slow Motion Replays
DRS में स्लो मोशन रिप्ले से कैच, रन आउट, स्टंपिंग के नजदीकी फैसले देखे जाते हैं।
📌 DRS का इस्तेमाल कैसे होता है?
1️⃣ खिलाड़ी अंपायर के फैसले से असहमत होने पर DRS ले सकता है।
2️⃣ कप्तान या बल्लेबाज DRS लेने के लिए दोनों हाथों से TV स्क्रीन जैसा इशारा करता है।
3️⃣ थर्ड अंपायर DRS की जांच करता है।
4️⃣ ग्राफिक्स, Ultra Edge और बॉल ट्रैकिंग से निर्णय लिया जाता है।
5️⃣ अंतिम फैसला थर्ड अंपायर देता है।
📌 DRS लेने का नियम
फॉर्मेट | प्रति टीम DRS |
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टेस्ट | 2 प्रति पारी |
वनडे | 1 प्रति पारी |
T20 | 1 प्रति पारी |
गलत रिव्यू: रिव्यू कम हो जाता है
सही रिव्यू: टीम के पास DRS बना रहता है
📌 DRS का इतिहास
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2008: पहली बार इंडिया vs श्रीलंका टेस्ट में इस्तेमाल
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2011 वर्ल्ड कप: आंशिक DRS
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2017: IPL में पहली बार DRS
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आज ICC के हर इंटरनेशनल मैच में अनिवार्य
📌 DRS में अंपायर्स कॉल (Umpire’s Call) क्या है?
अगर बॉल विकेट का 50% या उससे कम हिस्सा छूती है, तो थर्ड अंपायर फील्ड अंपायर के फैसले को बरकरार रखता है।
इसे ही Umpire’s Call कहते हैं।
क्यों जरूरी है:
ताकि DRS तकनीक की लिमिटेशन को समझा जा सके और अंपायर की अहमियत बनी रहे।
📌 DRS की विवादित घटनाएं
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2021: भारत vs ऑस्ट्रेलिया (ब्रिस्बेन टेस्ट)
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2019 वर्ल्ड कप फाइनल: न्यूजीलैंड के LBW अपील पर
📌 DRS पर खिलाड़ियों की राय
महेंद्र सिंह धोनी:
DRS को मास्टरली तरीके से यूज़ करने वाले।
विराट कोहली:
कई बार DRS विवादों में रहे।
रोहित शर्मा:
DRS फैसलों को लेकर अक्सर मैदान पर मजेदार रिएक्शन
📌 FAQs
Q. DRS का फुल फॉर्म क्या है?
👉 Decision Review System
Q. DRS में कौन-कौन सी तकनीक इस्तेमाल होती है?
👉 Hawk-Eye, Ultra Edge, Hot Spot, Slow Motion
Q. DRS का सबसे पहले कब इस्तेमाल हुआ?
👉 2008 में इंडिया vs श्रीलंका टेस्ट में
Q. टेस्ट मैच में कितने DRS मिलते हैं?
👉 2 प्रति पारी
Q. Umpire’s Call क्या है?
👉 जब बॉल विकेट का 50% या उससे कम हिस्सा छूती है और फैसला फील्ड अंपायर पर छोड़ दिया जाता है।
📊 निष्कर्ष
DRS ने क्रिकेट में गलत फैसलों को काफी हद तक कम किया है। टेक्नोलॉजी के सही इस्तेमाल से मैच का निष्पक्ष नतीजा निकलता है।
हालांकि कई बार Umpire’s Call और तकनीकी लिमिटेशन को लेकर विवाद जरूर हुए हैं, लेकिन आज DRS के बिना इंटरनेशनल क्रिकेट की कल्पना भी नहीं की जा सकती।
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